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Double marker Test In Pregnancy


Double marker Test In Pregnancy In Hindi


Double marker test को Dual marker test और Maternal Marker test भी कहते है

Double marker test क्या होता है-

यह double marker test प्रेग्नेंट लेडी में किया जाता है टेस्ट का उद्देश्य होता है जो बच्चा जन्म ले रहा है उसमें कोई प्रॉब्लम तो नहीं है जैसे मानसिक मंदता (Mental Retardation) या फिर जन्म दोष तो नहीं है जन्म दोष कई प्रकार के होते हैं 
1.Down syndrome- इसमें बच्चा पूरी तरह से Mental Retardation होता है जब उसकी बारह तेरा साल उम्र होती है तो उस उसके हारमोंस अच्छे से विकसित नहीं हो पाते हैं इस वजह से उसे बहुत सारी शारीरिक प्रॉब्लम होती है

2.Edward syndrome- इसमें हाथ पैर की उंगलियां सही से डिवेलप नहीं होती तथा साथ में कान भी डेवलप नहीं होते हैं

3.patau Syndrome- इसमें बच्चे का चेहरा सही से डिवेलप नहीं हो पाता है इसमें उसके ओठ जो होते हैं वह फटे रहते हैं और हाथ पैर भी सही से डेवलप नहीं हो पाते हैं

इसके साथ-साथ दोस्तों इसमें Neural tube Defects-NTD होने की संभावना भी Double marker से पता चल जाती है क्योंकि जब बच्चा जब पैदा होता है तो उसकी सबसे पहले Neural tube बनती है तो इसमें neural tube सही से डिवेलप नहीं हो पाती है जिसकी वजह से बच्चे की जो कमर होती है वह सही से डिवेलप नहीं हो पाती तथा उसमें गांठ बन जाती है

Double marker test किसे करवाना चाहिए-


1.जिस लेडीस की या जिस कपल की उम्र 35 वर्ष से ज्यादा है और उनमें बच्चा कंसील हुआ है गर्भधारण हुआ है तो उनको Double marker test करवाना चाहिए

2. अगर आपके पहले से ऐसी फैमिली है जिसमें जन्म दोष वाले बच्चे पैदा हुए हैं तो आपको Double marker test करवाना चाहिए

3. अगर आपका पहला बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है तो इस टेस्ट की संभावना बढ़ जाती है

4. अगर आप डायबिटीज में हैं या इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज है तो इसमें आपको टेस्ट करवाने की संभावना बढ़ जाती है

Double marker test कब करवाना चाहिए-

इसके लिए आपको पहले 3 महीने के अंदर इस टेस्ट को करवाना पड़ता है और जंगली 11 से 14 हफ्ते का जो पीरियड होता है इस टेस्ट के लिए वह बेस्ट होता है 
इसमें दो टेस्ट होते हैं- 1. Free Beta hCG (human chorionic gonadotrophin)
2.PAPP-A (pregnancy associated plasma protein A)

इनके हाई और लो होने से बहुत कुछ डिपेंड करता है इनकी नार्मल रेंज free beta hCG: 25700-288000 Miu/MI होती है और PAPP-A: greater than 0.5 MOM. से ज्यादा होती है

Free beta HCG test high- यह एक ग्लाइकोप्रोटीन हार्मोन है जो गर्भावस्था के दौरान नाल द्वारा निर्मित होता है यह उच्च स्तर ट्राई सामी 18 और डाउन सिंड्रोम का एक उच्च जोखिम का संकेत है, free beta high हो जाता है तो यह बताता है कि बच्चे के अंदर डाउन सिंड्रोम है या एडवर्ड सिंड्रोम है 

PAPP -A test low- अगर किसी का PAPP-A लो होता है तो यह बताता है कि बच्चे के अंदर डाउन सिंड्रोम होने की संभावना और भी बढ़ जाती है, यह एक महत्वपूर्ण प्लाज्मा प्रोटीन है प्लाजमा प्रोटीन का निम्न स्तर डाउन सिंड्रोम की जोखिम का  संकेत है

Double marker test requirement:

इस टेस्ट को करवाने के साथ-साथ इसमें बहुत Latest ultrasound report जरूरी होती है अच्छी बात है कि इसमें Fasting की जरूरत नहीं पड़ती जैसे कि किसी दूसरे टेस्ट के लिए सुबह खाली पेट टेस्ट करवाना पड़ता है लेकिन इसमें ऐसा नहीं है आप खा पीकर भी टेस्ट करवा सकते हैं

Double marker test positive का क्या मतलब है

दोस्तों अगर यह टेस्ट पॉजिटिव आ जाता है किसी भी लेडीस में प्रेगनेंसी के दौरान तो यह बताता है कि आप termination करा सकते हैं प्रेगनेंसी का As a MTP Roules. आप इसमें डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं.

Double Marker Test Price In India
Double Marker Test की कीमत India में लगभग 2,000 से 4,000 रुपये के बीच हो सकती है।

Double Marker Test In Pregnancy In Hindi
Pregnancy की पहली तिमाही में क्रोमोसाम में असामान्‍यता की जांच करने के लिए Double Marker Test किया जाता है। इससे शिशु में नसों से संबंधित कोई बीमारी आदि का पता चलता है।

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